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ट्राइकोटिलोमेनिया - उपचार

ट्राइकोटिलोमेनिया के परंपरागत इलाज में मनो वैज्ञानिक चिकित्सा, अवसाद दूर करने और चिंता से निजात दिलाने की दवाइयों का इस्तेमाल करना शामिल है।हालांकि दवा बंद करने के बाद बीमारी फिर से हावी हो सकती है।इसके अलावा,परंपरागत चिकित्सा में दवा ओं पर निर्भरता बहुत बढ़ जाती है और इससे केवल थोड़े समय की राहत मिलती है।

ट्राइकोटिलोमेनिया एक सौंदर्य प्रसाधन की समस्या से बहुत अलग है।यह बीमारी जितनी शारीरिक है उतनी ही मानसिक भी है।

डॉ. बत्रा के यहाँ, हम ट्राइकोटिलोमेनिया को समझ ने के लिए उससे जुड़े तमाम भावनात्मक अवरोधों को भी विस्तार से समझते हैं।हमारे चिकित्सक एक भावानात्मक मूल्यांकन के साथ-साथ हर मरीज़ की पूरी केसहिस्ट्री रखते हैं और उसका रिकॉर्ड तैयार करते हैं। फिर भावनात्मक कारणों और उन कारणों पर मरीज़ की व्यक्तिगत प्रतिक्रिया के आधार पर उपयुक्त होम्योपैथिक दवाइयां लेने की सलाह दी जाती है।

हम केवल बाहरील क्षणों के आधार पर इलाज नहीं करते बल्कि समस्या की जड़ तक जाते हैं ता कि मरीज़ को फिरसे उसका इष्ट तम स्वास्थ्य प्रदान किया जा सके।

अंतरराष्ट्रीय अध्ययन

संयुक्त राज्य अमेरिका के एरिज़ोना विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभागद्वारा किए गए एक अध्ययन में होम्योपैथिक दवाएं देने के बाद मरीज की मनोदशा में सकारात्मक बदलाव देखे गए; इस के अलावा चिंता से जुड़ी संवेदनशीलता वाले मरीजों में मानसिक तनाव कम होता देखा गया। परिणाम दीर्घ कालिक थे क्योंकि होम्योपैथी दवाएं लेने के बाद उनकी दवा ओं पर निर्भरता भी ख़त्म होग ई थी।

हमारी चिकित्सा में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  1. बालों का अध्ययन वीडियो माइक्रो स्कोपी के ज़रिए किया जाता है ता कि:
    • समस्या के सही कारण का पता लगाया जा सके;
    • अन्य प्रकार के बालों के झड़ने के प्रकार से इसे अलग किया जा सके;
    • खोपड़ी की त्वचा को होने वाली क्षतिकी जांच की जा सके।
  2. मन:- शारीरिक बीमारियों के लिए बहुकारकी यदृष्टिकोण अपनाना।
  3. तनाव से जुड़े कारकों को समझना, अर्थात:
    • काम
    • परिवार
    • समाज.
  4. गहराई तक बसी मानसिक असुरक्षा को दूर करना, अर्थात:
    • डर
    • चिंता
    • दबाहुआगुस्सा.
  5. व्यक्तिगत स्तर पर इलाज की योजना तैयार करना।
  6. निम्नलिखित मामलों में प्राकृतिक दवा ओं की सिफारिश करना:
    • बालखींचने की इच्छा को कम करने के लिए;
    • मनोदशा के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए;
    • समस्या से जुड़ी शिकायतों का इलाज करने के लिए।
  7. तनाव से लड़ने में सहायक होना।
  8. आत्मसम्मान बढ़ाने में मदद करना।
  9. मानसिक स्थिरता प्रदान करने में सहायता करना।
  10. दुबारा होने की आशंका को कम करना।

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