मुँहासे - एक नज़र
मुँहासा त्वचा का एक विकार है जिसे आम तौर पर 'फुंसी' या 'इल्ला' के रूप में जाना जाता है। हालांकि यह एक त्वचा की समस्या है परंतु त्वचा की अपेक्षा यह पीड़ित व्यक्ति के मानसिकता को अधिक नुकसान पहुँचाता है।
अधिकांश लोगों को लगता है कि मुँहासा केवल किशोरों की समस्या है। हालांकि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। इससे जीवन को कोई खतरा तो नहीं होता परंतु इससे त्वचा पर निशान पड़ सकते हैं, इसलिए इसका शीघ्र इलाज कराना आवश्यक है। होम्योपैथी मुँहासे को जड़ से मिटा सकती है और त्वचा को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ सामान्य स्वास्थ्य और आत्मसम्मान के एहसास को नए सिरे से वापस लाती है।
डॉ बत्रा™ में हम लोगों को पिछले 35 वर्षों में 10,000 से अधिक ऐसे मामलों के इलाज का अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त है।
मुँहासे क्या हैं?
मुँहासा एक सबसे आम त्वचा रोग होने के साथ-साथ बहुत सारे लोगों के लिए तरुणायी का एक हिस्सा होता है। इस रोग में चेहरे, गरदन, छाती, कंधे, पीठ एवं बाँहों पर फुंसियाँ दिखती हैं और ऐसा तब होता है जब अतिरिक्त सीबम (तेल) उत्पन्न होने के कारण त्वचा के छिद्रों में रुकावट आ जाती है।
यह रोग किसी भी उम्र में होता है परंतु किशोरों में यह आम बात है। यह पुरुष और महिला दोनों में समान रूप से होता है पर इसका रूप-रंग अलग-अलग हो सकता है। युवा पुरुषों में यह गंभीर रूप से बड़ा-बड़ा हो सकता है जबकि महिलाओं में यह थोड़ा रुक-रुक कर होता है जो आम तौर पर उनके मासिक धर्म चक्र से संबंधित होता है।
मुँहासे त्वचा पर छोटे-छोटे, सफ़ेद रंग के उभारों (सफ़ेद फुंसियों), काले धब्बों (काली फुंसियों), छोटे, कष्टदायक, लाल उभारों या मवाद से भरी, पीड़ादायक सूजन के रूप में देखे जा सकते हैं। अधिकांश मामलों में, यह रोग 10 से लेकर 13 वर्ष की अवस्था में शुरू होता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि 12 से 17 वर्ष की उम्र के लगभग 85 से 100% लोगों में कम से कम कभी-कभार होने वाली सफ़ेद फुंसियां, काली फुंसियां या दाने होते हैं।