ध्यान-अभाव अतिसक्रियता विकार - एक नज़र

ध्यान-अभाव अतिसक्रियता विकार (ए.डी.एच.डी.) बच्चों में एक बहुत सामान्य रूप से पायी जाने वाली बीमारी है जिसका शिकार बड़े भी हो सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि अक्सर वयस्कों को ए.डी.एच.डी. होने का पता तब चला जब उनके बच्चों मे भी ये लक्षण पाए गए। इस तरह यह देखा गया है कि यह बीमारी परिवारों में चलती है।

ए.डी.एच.डी. लड़कियों की तुलना में लड़कों में अधिक आम तौर पर पाया जाता है। ए.डी.एच.डी. से पीड़ित लोगों को स्कूल में, घर में या कार्यस्थल पर ध्यान देने में कठिनाई होती है। यहाँ तक कि जब ये ध्यान देने की कोशिश करते हैं तब ये कठिनाइयों का सामना करते हैं। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे सामान्य अवस्था से बहुत अधिक सक्रिय और/या आवेगशील हो सकते हैं। इसी कारण इस तरह के बच्चों को कभी-कभी “कठिन” या व्यवहार की समस्याओं वाले बच्चे के रूप में देखा जाता है। इन बच्चों के माता-पिता, अध्यापकों, देखभाल करने वालों को उनसे चीज़ों को व्यवस्थित करवाने में, उनकी हिदायतों को सुनवाने में, जानकारियों को याद रखने में और उनके व्यवहार को नियंत्रित करने में बड़ी मुशिकलों का सामना करना पड़ता है। इस वज़ह से, अक्सर इन लोगों को स्कूल, घर या कार्यस्थल पर दूसरों के साथ मिलजुल कर रहने में कठिनाई होती है।

ए.डी.एच.डी. के सामान्य लक्षणों में लापरवाह गलतियां करना, कार्यों को पूरा करने में असफल होना, चीज़ों पर नज़र रखने में परेशानी का सामना करना, आसानी से ध्यान भंग होना आदि शामिल हैं। ए.डी.एच.डी. की कठिनाइयों में अत्यधिक बेसब्री और छटपटाहट, बेसब्र रहना, उछल-कूद करना, अत्यधिक बातें करना और लगातार व्यस्त रहना शामिल है। आवेगशीलता के लक्षणों में बेसब्री, अपनी बारी का इंतजार करने में मुश्किल, ज़ोर से जवाब देना अक्सर टोकना भी शामिल हैं। ए.डी.एच.डी. से पीड़ित बच्चे आत्मसम्मान में कमी, रिश्तों में परेशानी और स्कूल में घटिया प्रदर्शन का भी सामना कर सकते हैं। इस तरह के लक्षण कभी-कभी उम्र के साथ कम हो सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग कभी भी अपने ए.डी.एच.डी. के लक्षणों पर पूरी तरह से काबू नहीं पा सकते हैं।

होमेयोपैथी की दवाइयों और व्यवहार संबंधी उपायों द्वारा किए गए इलाज़ से इन लक्षणों में काफ़ी हद तक मदद मिल सकती है। बीमारी का शीघ्र पता लगाने और इलाज़ कराने से इसके नतीजों में काफी फर्क हो सकता है।

पैमाना:

  • करीब 20% बच्चों में हल्की से लेकर गंभीर तक किसी प्रकार की ए.डी.एच.डी. हो सकती है।
  • महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ए.डी.एच.डी. पाए जाने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।
  • ए.डी.एच.डी. पता चलने की औसत उम्र सात वर्ष होती है। ए.डी.एच.डी. के लक्षण आम तौर पर पहले तीन से छः वर्ष की उम्र के बीच दिखाई देते हैं।

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