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एलर्जी-लक्षण

एलर्जी के लक्षण श्वसन संबंधी, पाचन संबंधी और त्वचा के लक्षणों में बदल सकते हैं। एलर्जेनों पर रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया के आधार पर ये हल्के से लेकर तीव्र तक हो सकते हैं।

श्वसन संबंधी एलर्जी: आंखों में खुजलाहट, छींक आना, नाक बहना, साँसों की घरघराहट, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, खाँसी, सीने में जकड़न, साँसों में रुकावट, श्वास संभंधी एलर्जी के सबसे आम लक्षण हैं।

त्वचा की एलर्जी: उभरी हुई त्वचा, खुजलाहट भरी सूजन, चकत्ते, त्वचा लाल होना, मच्छर के काटने से होने वाली एलर्जी, पित्ती, खुजली और सूजन कुछ ऐसे लक्षण हैं जो त्वचा पर देखे जाते हैं।

पाचन तंत्र की एलर्जी (गैस्ट्रिक एलर्जी): पेट फूलना, पेट में मरोड़, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण पाचन तंत्र की एलर्जी में देखे जाते हैं।

रोग का निदान

एलर्जी की पहचान तीन प्रकार से की जाती है:

  • मामले का इतिहास और मूल्यांकन: एलर्जी के कारकों और लक्षणों का पता लगाने के लिए हमारे चिकित्सक रोगी के विस्तृत इतिहास को देखते हैं। सामान्यतः हमारे चिकित्सकों के साथ एक विस्तृत सत्र एलर्जी के प्रकार और कारकों का पता लगाने के लिए काफी है।
  • शारीरिक परीक्षण: हमारे चिकित्सक रोगी के वायु मार्ग और त्वचा की जाँच करते हैं। साथ ही एलर्जी के लक्षणों और स्वरूपों का पता लगाने के लिए एक सामान्य परीक्षण करते हैं।
  • जांच:रक्त की IgE जांच से यह पता चलता है कि क्या रोगी में बार-बार एलर्जी होने की प्रवृति है। त्वचा के एलर्जेनों की पहचान करने के लिए त्वचा की एलर्जी की जांच करने का सुझाव दिया जा सकता है। रोगी में सही कारक को समझने के लिए अक्सर यह जांच कराने की सलाह दी जाती है।

समस्याएं:

ज्यादातर मामलों में एलर्जी हल्की हो सकती है। हालांकि, कुछ मामलों में यह जानलेवा हो सकती है और कुछ समस्याओं को जन्म दे सकती है, जिनका इलाज़ तुरंत होना चाहिए। समस्याओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

तीव्रग्राहिता (एनाफिलेक्सिस): एक गंभीर, जानलेवा एलर्जिक प्रतिक्रिया है। एनाफिलेक्सिस की सबसे सामान्य प्रतिक्रियाएं भोजन, कीटों के डंक, दवाइयों और लेटेक्स के कारण होती हैं।

अस्थमा: एलर्जी के रोगी में अस्थमा होने की प्रवृत्ति पायी जाती है। यह वायु मार्ग और सांस लेने की क्रिया को प्रभावित कर सकता है।

एटोपिक डर्मेटिटिस (एक्ज़ीमा), साइनसाइटिस और कानों या फेफड़ों का संक्रमण: अगर रोगी में इस तरह की चिकित्सकीय समस्याएं होने की प्रवृत्ति अधिक है अगर उसे एलर्जिक रिनिटिस या पालतू जीवों अथवा फफूंद की एलर्जी है।

कवकीय संक्रमण (फंगल इन्फेक्शन): एलर्जी के रोगियों को आसानी से कवकीय संक्रमण हो सकता है।

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