सोराइसिस (त्वचा रोग) - होम्योपैथी से सहज उपचार

सोराइसिस (त्वचा रोग) - होम्योपैथी से सहज उपचार

सोरायसिस

सोराइसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें लुका-छिपी का खेल चलता रहता है. यह ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा कोशिकाएं अपने नष्ट होने से भी ज़्यादा तेज़ गति से बढ़ती हैं, जिससे अतिरिक्त त्वचा जमा होती है और शरीर पर पपड़ीनुमा पैच बनाती हैं. और अत्यधिक रुखेपन के कारण त्वचा में खुजली होती है. सोराइसिस संक्रामक नहीं है. इसकी प्रवृत्ति अस्थिर होती है, समयावधि में सुधरता है और  उग्र होता है. सोराइसिस अचानक कई साल तक गायब होकर शांत रहे तो असामान्य बात नहीं है. सोराइसिस मरीज़ में पपड़ी, खुजली, त्वचा में रुखेपन, लालिमा, फटन, खून बहाव, नाखूनों में विकृति और रंग बदल जाने जैसी परेशानियां हो सकती हैं. अग्रिम अवस्था में जोड़ स्थाई रूप से विकृत भी हो सकते हैं जिसे सोराइसिस अर्थराइटिस (गठिया) कहते हैं. सोराइसिस के साथ-साथ थायरोइड / मधुमेह / हृदय रोग / हायपरटेंशन भी हो सकता है.

होम्योपैथी के साथ सहज उपचार

पपड़ी और खुजली से छूटकारा पाने की हड़बड़ी में हम इधर-उधर भागते हैं और उपचार की सभी विधियां आज़माते रहते हैं, ये जाने बगैर कि समस्या हल होने की बजाय बढ़ रही है और अंदर घर  कर रही है. उपचार की सामान्य विधियां प्रतिरक्षण दबाव पर आधारित हैं. कुछ दिनों या हफ्तों के लिए वह त्वचा को साफ़ कर सकती हैं, लेकिन दवा का असर कम होते ही वापस हो जाती हैं. इसलिए आप अस्थाई राहत क्यों अपनाएं? ख़ुद का ख़याल रखिए और हानिरहित होम्योपैथी से अपने शरीर का उपचार कीजिए. होम्योपैथी सहजता से, मुख्य अंगों को क्षति पहुंचाए बगैर उपचार करता है, जबकि सामान्य दवाएं आपके लीवर को नुकसाना पहुंचाती हैं. बीमारी की शुरुआत में ही होम्योपैथी के उपचार विकल्प को अपनाने पर भविष्य में बीमारी पर संपूर्ण नियंत्रण बेहतर ढंग से हो सकता है. होम्योपैथी दवाएं तनाव को ज़्यादा प्रभावी ढंग से घटाने में सहायक हैं और मौसमी बदलाव के दौरान शिकायतों की तीव्रता पर काबू पाने में मदद करती हैं. साधारण क्रूड दवाओ में सीसा; अर्सेनिक या मर्करी होता है जो प्रमुख अंगों को क्षति पहुंचाती हैं. जबकि होम्योपैथी, सशक्त स्वरूप में कुदरती औषधियां प्रयोग करता है, जो बेहद प्रभावी होता है और किसी भी साइड-इफेक्ट्स से बिल्कुल मुक्त होता है. होम्योपैथी शरीर की कुदरती आरोग्य क्षमता को बल देता है और विचलित हुए प्रतिरक्षण को फिर से सामान्य बनाता है. होम्योपैथी लोगों को निरोगी बनाने और जीवन बदलने में विश्‍वास रखता है.

ज़रूरी होम केयर..

त्वचा में पपड़ी से बचने के लिए रुखेपन और खुजली को हल करना ज़रूरी है. इसलिए बार-बार ऑयल / क्रीम आधारित मॉइस्चराइजर लगाएं. पपड़ी को कम करने के लिए सिर में तेल लगाना और सौम्य एंटी-डेंड्रफ शैम्पू इस्तेमाल करना ज़रूरी है.

नहाते समय ग्लिसरित आधारित साबुन या शॉवर जेल इस्तेमाल  करें, ताकि आपकी त्वचा आसानी से रुखी न हो जाए.  लुफा / बॉडी स्क्रबर से त्वचा न खुजाएं, क्योंकि घर्षण से त्वचा में सोराइसिस के नए स्पॉट पनपते हैं.

सूखे मेवे और अलसी जैसे ओमेगा-३ फैटी एसिड्स से समृद्ध आहार पपड़ी घटाने में सहायक हैं, लेकिन सी-फूड से बचें, क्योंकि यह शरीर में युरिक एसिड के स्तर बढ़ाते हैं और सोरियाटिक अर्थराइटिस तथा सोराइसिस को उकसाते हैं.

अपनी त्वचा को निरोगी बनाने और हो सके उतना तेज़ी से खुद ब खुद रिपेयर करने के लिए आपके द्वारा सेवन किया जानेवाला आहार ऐसा हो कि उसे पचाने में शरीर को कम समय लगे. इसलिए फल, हरी व पत्तेदार सब्जियां और सूखे मेवे ज़्यादा खाएं. ऐसा अनाज खाएं जिसे पचाने में कम से कम समय लगे जैसे जवार, बाजरा या नाचनी. इससे आपके शरीर की काफी ऊर्जा बचेगी जो आपकी त्वचा को रिपेयर करने व वापस सामान्य बनाने में काम आएगी.

जल्दी सुबह की धूप का सेवन करे, जिससे पर्याप्त विटामिन डी३ मिले. आपकी रक्त जांच में विटामिन डी३ का स्तर कम हो तो सप्लीमेंट लीजिए.

आरामदेह और सूती वस्त्र पहनें. सिंथेटिक सामग्री पहनने से बचें.

हो सके उतना तनाव से बचें और रक्त संचार सुधारने के लिए योग व ध्यान करें.

Authored By

Dr. SHAHID SHAIKH

MD

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